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                                                 संबंधों में सेक्‍स का महत्‍व

क्‍या आपकी पत्‍नी आपसे खुश नहीं रहती? महिलाओं की बात करें तो क्‍या आपके पती आपसे बात-बात पर नाराज़ हो जाते हैं? या फिर आप दोनों के बीच रोज-रोज झगड़े होते हैं? और आप इन सब बातों से परेशान रहते हैं। इसका हल आपके ही पास है। वो है सेक्‍स। जी हां पति-पत्‍नी के बीच प्‍यार को बढ़ाने का सबसे अच्‍छा माध्‍यम यही है। इससे न केवल आप एक-दूसरे को समझ सकते हैं, बल्कि दोनों के बीच संबंध और अच्‍छे होते हैं। इन सभी से जुड़े सवालों के जवाब हम आपको देंगे।

पति-पत्‍नी के संबंधों में सेक्‍स का काफी महत्‍व होता है, लेकिन यह आप ही तय कर सकते हैं कि यह किस तरह कारगर साबित हो सकता है। बहुत सारी महिलाएं ये मानती हैं कि सेक्‍स सिर्फ पुरुषों के लिए ही महत्‍वपूर्ण होता है, लेकिन बहुत सी ऐसी महिलाएं भी हैं जो अपने पार्टनर को सुख देने के लिए किसी भी वक्‍त सेक्‍स के लिए तैयार हो जाती हैं। सही मायने में सेक्‍स सिर्फ भौतिक सुख नहीं है, बल्कि मानसिक सुख भी है, जो हमारे जीवन में तनाव को कम करने के साथ-साथ खुशियां लाता है। सेक्‍स पति-पत्‍नी को भावनात्‍मक रूप से करीब लाता है।

डॉक्टरों वैज्ञानिकों ने शोध करके यह पता लगाया है कि सेक्स अनेक रोगों की दवा भी है। जहाँ विवाहित जीवन में सेक्स एक-दूजे के बीच सुख, आनंद, अपनापन लाता है, वहीं एक-दूजे के स्वास्थ्य एवं सौंदर्य को भी बनाए रखता है।
सेक्स से शरीर में अनेक प्रकार के हार्मोन उत्पन्न होते हैं, जो शरीर के स्वास्थ्य एवं सौंदर्य को बनाए रखने में सहायक होते हैं। सेक्स से शरीर में उत्पन्न एस्ट्रोजन हार्मोनऑस्टियोपोरोसिसनामक बीमारी नहीं होने देता है। सेक्स से एंडार्फिन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे त्वचा सुंदर, चिकनी चमकदार बनती है। एस्ट्रोजन हार्मोन शरीर के लिए एक चमत्कार है, जो एक अनोखे सुख की अनुभूति कराता है।
सफल नियमित सेक्स करने वाले दंपति अधिक स्वस्थ देखे गए हैं। उनका सौंदर्य भी लंबी उम्र तक बना रहता है। उनमें उत्तेजना, उत्साह, उमंग और आत्मविश्वास भी अधिक होता है। सेक्स से परहेज करने वाले शर्म, संकोच, अपराधबोध तनाव से पीड़ित रहते हैं।
दिमाग को तरोताजा रखने तनाव को दूर करने के लिए नियमित सेक्स एक अच्छा उपाय है। सेक्स के समय फेरोमोंस नामक रसायन शरीर में एक प्रकार की गंध उत्पन्न करता है, जिसे आप सेक्स परफ्यूम भी कह सकते हैं। यह सेक्स परफ्यूम दिल दिमाग को असाधारण सुख शांति देता है। सेक्स हृदय रोग, मानसिक तनाव, रक्तचाप और दिल के दौरे से दूर रखता है। सेक्स से दूर भागने वाले इन रोगों से अधिक पीड़ित रहते हैं।
सेक्स व्यायाम भी हैसेक्स एक प्रकार का व्यायाम भी है। इसके लिए खास किस्म के सूट, शू या महँगी एक्सरसाइज सामग्री की आवश्यकता नहीं होती। जरूरत होती है बस शयनकक्ष का दरवाजा बंद करने की। सेक्स व्यायाम शरीर की मांसपेशियों के खिंचाव को दूर करता है और शरीर को लचीला बनाता है। एक बार की संभोग क्रिया, किसी थका देने वाले व्यायाम या तैराकी के 10-20 चक्करों से अधिक असरदार होती है। सेक्स विशेषज्ञों के अनुसार मोटापा दूर करने के लिए सेक्स काफी सहायक सिद्ध होता है। सेक्स से शारीरिक ऊर्जा खर्च होती है, जिससे कि चर्बी घटती है। एक बार की संभोग क्रिया में 500 से 1000 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है। सेक्स के समय लिए गए चुंबन भी मोटापा दूर करने में सहायक सिद्ध होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार सेक्स के समय लिए गए एक चुंबन से लगभग 9 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है। इस तरह 390 बार चुंबन लेने से 1/2 किलो वजन घट सकता है।
दर्दों की अचूक दवा :आह, उह, आउच, कमर दर्द, पीठ दर्द, गर्दन दर्द से परेशान पत्नीआज नहीं, अभी नहींकरती है, लेकिन यदि वह बिना किसी भय के पति के साथ संभोग क्रिया में शामिल हो जाए तो उसके दर्द को उड़न-छू होने में देर नहीं लगती। सिरदर्द, माइग्रेन, दिमाग की नसों में सिकुड़न, उन्माद, हिस्टीरिया आदि का सेक्स एक सफल इलाज है।
अनिद्रा की बीमारी में बिस्तर पर करवट बदलने या बालकनी में रातभर टहलने के बजाय बेड पर बगल में लेटी या लेटे साथी से सेक्स की पहल करें, फिर देखें कि खर्राटे आने में ज्यादा देर नहीं लगती। नियमित रूप से संभोग क्रिया में पति को सहयोग देने वाली पत्नी माहवारी के विकारों से दूर रहती है। रात्रि के अंतिम पहर में किया गया सेक्स दिनभर के लिए तरोताजा कर देता है।
सेक्स को सिर्फ यौन संबंध बनाने तक ही सीमित रखें। इसमें अपनी दिनचर्या की छोटी-छोटी बातें, हँसी-मजाक, स्पर्श, आलिंगन, चुंबन आदि को शामिल करें, संभोग क्रिया तभी पूर्ण मानी जाएगी। सेक्स के बारे में यह बात ध्यान रखें कि अपनी पत्नी के साथ या अपने पति के साथ किया गया सेक्स स्वास्थ्य एवं सौंदर्य को बनाए रखता है।
इस प्रसंग में यह बात विशेष ध्यान देने योग्य है कि जहाँ विवाहित जीवन में पत्नी के साथ संभोग क्रिया अनेक तरह से लाभप्रद है, वहीं अवैध रूप से बनाए गए सेक्स संबंधों से अनिद्रा, हृदय रोग, मानसिक विकार, ठंडापन, सिफलिस, सूजाक, गनोरिया, एड्स जैसी अनेक प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
कैसे बनती हैं दूरियां 
सेक्‍स न करने की वजह से पति-पत्‍नी के बीच दूरियां भी बन सकती हैं। यदि आप सप्‍ताह में सिर्फ एक या दो बार ही अपने पार्टनर के करीब आते हैं तो यह गंभीर बात है। इससे दोनों तरफ न केवल मानसिक उलझनें उत्‍पन्‍न होती हैं, बल्कि तनाव भी बढ़ता है। सेक्‍स न करने की वजह से महिलाओं को लगने लगता है कि उनका पति उनसे प्रेम नहीं करता। वहीं पुरुषों को लगता है कि पत्‍नी को अब उनके करीब आने में रुचि नहीं है। यह दोनों बातें तब ज्‍यादा गहरी हो जाती हैं, जब परिवार में किसी भी प्रकार के झगड़े होते हैं। पत्‍नी असहाय महसूस करने लगती है।
वहीं पति को लगता है कि उनकी पत्‍नी उसकी भावना को नहीं समझती। देखते ही देखते बातें बढ़ती जाती हैं और संबंध कमजोर पड़ने लगते हैं। कई बार संबंध इतने बिगड़ जाते हैं कि एक-दूसरे को छोड़ने तक की नौबत आ जाती है।
पुरुष भले ही बंद कमरे की बातें अपने मित्रों के बीच नहीं करते हैं, लेकिन महिलाओं के बीच ऐसी बातें करना आम है। ज्‍यादातर महिलाएं जब अपनी सखी-सहेली से मिलती हैं, तो अकसर यौन संबंधों की बातें होती हैं। ऐसे में अगर आपकी पत्‍नी की सहेली यह कहती है कि वो अपने हफ्ते में सातों दिन अपने पति के करीब जाती है, या उसके पति जब मौका पाते हैं, उसके करीब आ जाते हैं… तो उस वक्‍त आपकी पत्‍नी के मन में यह भावना जरूर आएगी कि ‘मेरे पति मुझे प्‍यार नहीं करते।’ हालांकि आपकी पत्‍नी को उस समय झूठ बोलना पड़ता है। इसके अलावा यदि आपकी पत्‍नी अकेले बैठकर कोई ऐसी फिल्‍म देखती है, जिसमें पति-पत्‍नी के बीच बेशुमार प्‍यार है और वो रोजाना करीब आते हैं, तो भी उसके मन में ऐसी ही बातें आ सकती हैं। असल में यहीं से संबंधों में पहली दरार आती है।
वहीं अगर पुरुषों की बात करें तो उनके मन में संबंधों में खटास की बात तभी आती है, जब वो अकेले बैठकर अपनी सेक्‍सुअल लाइफ के बारे में सोचते हैं। इसके अलावा तब उनके दिल को और ज्‍याद ठेस पहुंचती है, जब वो सेक्‍स अपनी पत्‍नी के करीब आना चाहता है, और पत्‍नी मना कर दे। लाख मनाने के बाद भी अगर पत्‍नी करवट बदलकर सो जाती है, तो उसे लगने लगता है कि वो अपनी जिम्‍मेदारियों पर खरा नहीं उतर रहा। बाद में जब भी किसी प्रकार का झगड़ा होता है, तब वही गुस्‍सा दूसरी बातों पर फूट पड़ता है।
इन सभी बातों को अपने परिवार की सुख शांति से दूर रखने का सबसे अच्‍छा माध्‍यम सेक्‍स है। यदि आप हर रोज़ अपनी पत्‍नी के (महिलाएं अपने पति के) के करीब आते हैं तो दोनों के रिश्‍ते मजबूत होते हैं।
सेक्‍स से संबंधित भ्रम: भाग-1
कामसूत्र की के मुताबिक आलिंगन व संभोग प्रेम का अंतिम पड़ाव होता है। यह हमारे जीवन के लिए अत्‍यंत जरूरी भी है, लेकिन बेडरूम में सेक्‍स के वक्‍त पुरुषों में इसके प्रति कई भ्रम उत्‍पन्‍न होते हैं। शायद कई बातें आपके मन में भी हों, जो सिर्फ आपको भ्रमित करती हैं। आइये देखते हैं सेक्‍स के दौरान उठने वाले भ्रम क्‍या हैं-
1. गर्भवती न होने का भ्रम
पुरुष सोचते हैं कि संभोग के दौरान चरम सीमा तक पहुंचने से पहले यदि अगर वो अपना लिंग बाहर निकाल लेते हैं, तो उससे उनकी पार्टनर गर्भवती नहीं होगी। जबकि ऐसा नहीं है। चरम सीमा यानी रति निष्‍पत्ति से पहले निकलने वाले तरल पदार्थ में भी शुक्राणु मौजूद होते हैं, जो लड़की को प्रेगनेंट करने के लिए पर्याप्‍त होते हैं। लिहाजा कंडोम का इस्‍तेमाल ही बेहतर उपाय है।
2. किसी और के बारे में सोचना
तमाम पुरुष सोचते हैं कि संभोग के दौरान किसी अन्‍य स्‍त्री के बारे में सोचना गलत है। लेकिन ऐसा नहीं है। इससे आपकी वफादारी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। जबकि यह कई बार आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। खासतौर से तब जब आप जरा भी सेक्‍स के मूड में नहीं हों।
3. सेक्‍स से पहले ही चरम पर पहुंचना
कई पुरुष, खासतौर से 25 से 30 की उम्र वाले यह सोचते हैं कि संभोग से पहले रति निष्‍पत्ति से उनकी सेक्‍सुअल हेल्‍थ खराब होती है। या वो यौन रूप से पूरी तरह सशक्‍त नहीं हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। शुरू में समय से पहले चरम पर पहुचना स्‍वाभाविक है। हां यदि आगे चलकर भी ऐसा होता है, तब सोचने का विषय है।
4. ओरल सेक्‍स बेहतर
तमाम पुरुष मानते हैं कि संभोग से ओरल सेक्‍स बेहतर होता है। ओरल सेक्‍स यानी गुप्‍तांग को मुंह के संपर्क में लाना होता है। ऐसा नहीं है ओरल सेक्‍स से भी यौन जनित रोगों के फैलने का खतरा होता है। ऐसे में यदि आपके मुंह में कहीं भी कट है, तो पार्टनर के गुप्‍तांग से निकलने वाले पदार्थ के माध्‍यम से यौन जनित रोग आसानी से प्रवेश कर सकते हैं।
5. खाने की चीजों से कामोत्‍तेजना
कई लोग सोचते हैं कि अपनी पार्टनर को चॉकलेट, मिठाई, स्‍ट्रॉबेरी, आदि खिलाने से कामोत्‍तेजना बढ़ती है। लेकिन ऐसा नहीं है। यह एक भ्रम है। सेक्‍स से पहले साथ खाने से सिर्फ प्रेम बढ़ता है।
सेक्‍स संबंधी भ्रांतियां : भाग-2
1. साइस का टेंशन
साइज से कोई फर्क नहीं पड़ता ज्‍यादातर पुरुषों में अपने लिंग के साइज को लेकर काफी चिंता रहती है। ज्‍यादातर लोग जिनके लिंग का साइज छोटा होता है, उन्‍हें लगता है कि उन्‍हें सेक्‍स करने में दिक्‍कत आएगी। या फिर उनकी पार्टनर उनसे संतुष्‍ट नहीं हो पाएगी। यही नहीं कई बार लोग सोचते हैं कि लिंग छोटा होने से उनकी सेक्‍स लाइफ प्रभावित होगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता। साइज का सेक्‍स की संतुष्‍टी से कोई ताल्‍लुक नहीं और न ही आपकी क्षमता से।
2. एक उम्र के बाद सेक्‍स महत्‍वपूर्ण नहीं रहता
तमाम लोग सोचते हैं कि एक उम्र के बाद उनके लिए सेक्‍स महत्‍वपूर्ण नहीं रह जाएगा, लेकिन ऐसा सोचना गलत है। यह एक भौतिक क्रिया है, जो हमेशा सुख प्रदान करती है। लोगों को लगता है कि उम्र के साथ सेक्‍स के प्रति उत्‍साह कम होने लगता है, जबकि सच पूछें तो यह तनाव और हार्मोन परिवर्तन के कारण होता है।
3. महिलाओं से ज्‍यादा पुरुष रहते हैं आतुर
सेक्‍सुअल फीलिंग्‍स की बात आते ही यह बात सभी सोचते हैं। जबकि सेक्‍स की चाहत जितनी पुरुषों में होती है, उतनी ही महिलाओं में भी। फर्क इतना है कि पुरुष हर समय तैयार रहते हैं, जबकि महिलाएं समय के साथ ही अपनी मंशा दर्शा पाती हैं। दोनों में सेक्‍स करने की चाहत खान-पान, नींद, स्‍वास्‍थ्‍य, तनाव, फिटनेस, आत्‍मविश्‍वास और संबंधों की प्रगाढ़ता पर निर्भर करती है।
4. मैथुन से प्रभाव
बहुत सारे पुरुष व महिलाएं यह सोचती हैं कि मैथुन से स्‍वास्‍थ्‍य पर गलत प्रभाव पड़ता है। उससे सेक्‍स करने की क्षमता कम होती है या फिर शुक्राणु बनने बंद हो जाते हैं। लोग सोचते हैं कि मैथुन से व्‍यक्ति कमजोर हो जाता है। वहीं महिलाएं सोचती हैं कि इससे गर्भधारण में दिक्‍कत आती है, जबकि ऐसा कुछ नहीं है। मैथुन से ये सभी बातें लोगों के मन की भ्रांतियां हैं।
5. वियागरा से मजबूती
तमाम लोग सोचते हैं कि वियागरा जैसी दवाएं खाने से लिंग मजबूत होता है, जबकि ऐसा नहीं है। यह सिर्फ कुछ क्षणों के लिए होता है, वो भी संभोग करने तक। बल्कि डायबटीज व हाइपरटेंशन के शिकार लोग यदि इन गोलियों का सेवन करते हैं, तो वो उनके लिए खतरनाक है।
पुरुषों में सेक्‍स के प्रति भ्रम
वात्‍सयायन के कामसूत्र में कहा गया है कि व्‍यक्ति जब अकेले बैठकर कोई कार्य करता है, तो एक ना एक बार सेक्‍स के बारे में खयाल जरूर आता है। लोग चलते-फिरते, उठते-बैठते भी कई बार यौन इच्‍छाओं के बारे में सोचते हैं। लेकिन उनमें से तमाम ऐसे भी होते हैं, जो सोचते-सोचते तनाव में चले जाते हैं। असल में वे लोग भ्रम के शिकार होते हैं। जी हां सेक्‍स के प्रति कई भ्रम लोगों के मन में बने रहने की वजह से लोगों के बीच गलत संदेश जाता है।
1. पुरुषों में महिलाओं से ज्‍यादा यौन इच्‍छा- सेक्‍स के प्रति यह सबसे बड़ा भ्रम है। इंडियाना विश्‍वविद्यालय में हाल ही में हुए एक अध्‍ययन के मुताबिक पुरुष अपनी यौन इच्‍छा को बड़ी तत्‍परता के साथ प्रदर्शित कर देते हैं, जबकि महिलाएं ऐसा नहीं करतीं, जबकि सच तो यह है कि महिलाओं और पुरुषों दोनों में सेक्‍स के प्रति इच्‍छा कमोवेश बराबर होती है।
2. गैर-शादीशुदा ज्‍यादा बेहतर- लोग मानते हैं कि शादी से पहले पुरुष बेड पर ज्‍यादा अच्‍छा प्रदर्शन कर पाते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। अध्‍ययन के मुताबिक शादीशुदा पुरुष ज्‍यादा प्रभावी ढंग से सेक्‍स कर पाते हैं।
3. लोग मानते हैं कि जिनके पैर लंबे होते हैं, उनका लिंग लंबा होता है। यह एक बहुत बड़ा भ्रम है। 3000 पुरुषों पर किये गये अध्‍ययन में पैरों और लिंग के साइज में कोई भी संबंध नहीं पाया गया। तमाम लंबे पुरुषों के लिंग का साइज छोटा पाया गया।
4. तमाम महिलाएं मानती हैं कि पुरुषों का वीर्य निकलते वक्‍त भारी मात्रा में कैलोरी बर्न होती है, लिहाजा संभोग के बाद वो अपने पार्टनर को जूस व अन्‍य खाद्य पदार्थ देती हैं। जबकि पुरुषों के वीर्य में विटामिन सी, पानी, कैलशियम, मैंगनीशियम व अन्‍य न्‍यूट्रियंट्स होते हैं, लेकिन उनमें इतनी ऊर्जा नहीं निकलती, जितनी की लोग सोचते हैं।
5. लोग कहते हैं कि मैथुन करने से लिंग की नंसे कमजोर पड़ जाती हैं और वीर्य खत्‍म हो जाता है। जबकि ऐसा कुछ नहीं है, मैथुन से नंसे कमजोर नहीं पड़ती हैं, बल्कि सेक्‍स के प्रति रुचि बढ़ती है।
6. तमाम लोग जो बच्‍चा नहीं चाहते वे वीर्य निकलने से ठीक पहले कंडोम लगाते हैं। वो सोचते हैं कि जब तक वीर्य नहीं निकलता तब तक बिना कंडोम के मजा ले सकते हैं। लेकिन यह भी भ्रम है। कई बार रतिनिष्‍पत्ति से पहले निकलने वाले रंगहीन पदार्थ के साथ भी शुक्राणु बाहर निकल आते हैं और मात्र एक शुक्राणु भी स्‍त्री को गर्भवती कर सकता है।
मैथुन से जुड़ी भ्रांतियां
आपने जब 15 वर्ष की आयु में कदम रखा होगा, तो आपके साथियों ने कभी न कभी आपसे एक सवाल जरूर किया होगा- क्‍या तुम मैथुन करते हो? यदि आप मैथुन करते होंगे तो आप शर्म से झुक गए होंगे, आंखों में पानी आ गया होगा और हां या न का जवाब देते वक्‍त अंदर ही अंदर झिझक सी पैदा हुई होगी। जरा सोचिए क्‍यों? इस क्‍यों का जवाब आपको इस लेख में जरूर मिल जाएगा।
मैथुन वो होता है जब कोई लड़की या लड़का अपने गुप्‍तांग को मसल कर यौन सुख की अनुभूति प्राप्‍त करने की कोशिश करता है। इस क्रिया में बिना किसी साथी के ही व्‍यक्ति सेक्‍स की चरम सीमा तक पहुंच जाता है। कई लोग इसे हस्‍त मैथुन भी कहते हैं, जबकि अंग्रेजी में इसका अर्थ है मास्‍टरबेशन। मैथुन में भी उसी प्रकार रति-निष्‍पत्ति होती है, जिस प्रकार संभोग के दौरान, बस फर्क अकेल पन का होता है।
यदि हम इतिहास के झरोखे में देखें तो 60 के दशक में डॉक्‍टर लोगों को मैथुन न करने की सलाह देते थे। उनका तर्क रहता था कि इससे स्‍वास्‍थ्‍य गिर जाता है, व्‍यक्ति कमजोर हो जाता है, हड्डियां कमजोर पड़ जाती हैं, उम्र कम होती है, लंबाई नहीं बढ़ती, आंखें कमजोर पड़ जाती हैं, वीर्य पतला हो जाता है (लड़कियों में अंडाणु कम हो जाते हैं), लिंग कमजोर पड़ जाता है, लिंग छोटा हो जाता है, भविष्‍य में संतान पैदा करने योग्‍य नहीं रह जाता, वगैरह-वगैरह…
तब से लेकर बीसवीं सदी तक मैथुन पर लाखों किताबें लिखी गईं। उनमें तमाम ऐसी थीं, जिनमें कहा गया कि मैथुन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक होता है। उन्‍हीं बातों का प्रभाव आज भी दिखाई देता है। जब व्‍यक्ति टीन एज में कदम रखता है, तो उसके संगी साथी मैथुन से जुड़ी वही बातें बताते हैं। अज्ञानतावश मैथुन करने वाले कई लोग मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं।
मैथुन करने वालों मन में तमाम सवाल उठते हैं, जिनके उत्‍तर वे किताबें, इंटरनेट, अखबारों और डॉक्‍टरों के पास खोजते हैं। कई बार शादी के बाद जब बच्‍चा नहीं पैदा होता है तो यह भी खयाल आता है कि कहीं इसकी वजह मैथुन तो नहीं। यही नहीं मैथुन करने वाले लड़के का दोस्‍त मजाक बनाने लगते हैं। कई बार दोस्‍त बड़ी नीची निगाहों से देखने लगते हैं, भले ही वो खुद मैथुन करते हों। इन सभी के कारण व्‍यक्ति हीन भावना का शिकार हो जाता है।
21वीं सदी में हुए अध्‍ययन और रिसर्च ने इन सभी सवालों के जवाबों को उलट कर रख दिया। दुनिया भर के चिकित्‍सकों ने इस बात कह दिया है कि मैथुन को लेकर जितनी भी बातें पहले होती आयीं हैं, वे सब महज भ्रांतियां हैं। सही मायने में तो मैथुन अकेले पन में सेक्‍स की भूख को मिटाने के लिए किया जाता है। यही नहीं शादीशुदा लोग भी मैथुन करते हैं।
वर्तमान समय में अगर मैथुन को परिभाषित किया जाए तो ये वो क्रिया है, जो सेक्‍स की भूख को मिटाती है। यही नहीं यह यौन संबंधी बीमारियों से भी बचाती है, यानी कुल मिलाकर यह सेक्‍स का सुरक्षित और आसान तरीका है।
हाल ही में हुए एक अध्‍ययन के मुताबिक 70 से 80 वर्ष की आयु के पुरुष भी मैथुन करते हैं। वहीं 35 से 50 वर्ष की आयु के पुरुष उसी दौरान मैथुन करते हैं, जब उनकी संगिनी साथ नहीं होती। हालांकि 35 की उम्र के बाद लोग बहुत कम मैथुन करते हैं। हां 30 की उम्र तक सप्‍ताह में छह सात बार ता आम बात है। वहीं टीन एज में दिन में दो तीन बार मैथुन करना आम है।
मै‍थुन के गंभीर परिणाम भी
एक समय था जब मैथुन करना पाप माना जाता था, लेकिन आज के आधुनिक परिवेश में इसकी परिभाषा एकदम बदल गई है। जी हां आज मैथुन को अपनी सेक्‍स की भूख को मिटाने और यौन सुख का अहसास करने का एक सुरक्षित माध्‍यम माना जाता है। मैथुन के कोई दुष्‍प्रभाव नहीं हैं, लेकिन यदि आपने इसमें गलत ढंग अपनाया, तो परिणाम गंभीर भी हो सकते हैं।
अधिकांश पुरुष बहुत कम मैथुन करते हैं। कई बार शादी-शुदा पुरुष जो अपनी पत्‍नी से दूर रहते हैं, वो भी मैथुन करते हैं। टीन एज में मैथुन की शुरुआत की सबसे ज्‍यादा संभावना होती है और ऐसा होने पर टीनेजर्स को दिन में बार-बार मैथुन करने का मन करता है। आम तौर पर मैथुन करने में पुरुष अपने हाथ का प्रयोग करते हैं। लेकिन कई बार गलत ढंग से या ज्‍यादा मैथुन करना भी महंगा पड़ सकता है।
कई बार घर में अकेले होने पर पुरुष अपने साथ प्रयोग करने की सोचते हैं। वो संभोग का अहसास प्राप्‍त करने के लिए वैक्‍यूम क्‍लीनर, पाइप, या कोई भी गड्ढे वाली चीज का प्रयोग करते हैं, जो की बहुत ज्‍यादा हानिकारक है। इससे लिंग की मासपेशियों में तगड़ा खिंचाव होता है और लिंग पर स्‍वेलिंग आने लगती है। इससे घाव भी हो सकते हैं।
यही नहीं आमतौर पर जब कोई युवक मैथुन की शुरुआत करता है, तो उसे बार-बार करने का मन करता है। यदि वो घर में अकेला हुआ तो वो हर घंटे पर मैथुन करता है। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। हर घंटे या जल्‍दी-जल्‍दी मैथुन करने से भी लिंग की मासपेशियों में वीर्य के पहले निकलने वाला द्रव मासपेशियों में चला जाता है, जिस वजह से लिंग में सूजन आ जाती है। यह सूजन तबतक रहती है, जबतक वो द्रव वापस रक्‍त में नहीं चला जाता। इसे ‘ओडीमा’ कहते हैं।
मैथुन के वक्‍त यदि आप आपने लिंग को कस कर दबाते हैं, या उसे मोड़ने के प्रयास करते हैं, तो वो हानिकारक हो सकता है। इससे ‘पायरोनी’ नाम की बीमारी हो सकती है। यही नहे पेनाइल फ्रेक्‍चर भी हो सकता है। यानी आपके लिंग की मासपेशियां टूट सकती हैं।
पायरोनी होने पर लिंग टेढ़ा हो जाता है। मासपेशियों में तनाव होने की स्थिति में आप उसके टेढ़ेपन को आसानी से देख सकते हैं। ऐसे में लिंग में दर्द होता है और हालांकि लिंग टेढ़ा होने के और भी कारण हैं। वहीं पेनाइल फ्रेक्‍चर होने पर लिंग तुरंत ढीला पड़ जाता है और तेज दर्द उठता है। यह एक गंभीर चोट के समान है, जिसे ठीक होने में लंबा समय लग सकता है।
मैथुन के दुष्प्रभाव 
1. जरूरत से ज्‍यादा मैथुन करने से यौन अंग कमजोर पड़ जाते हैं।
2. जरूरत से ज्‍यादा मैथुन के कारण व्‍यक्ति सामाजिक जीवन से कटने लगता है। उसे अकेलापन ही अच्‍छा लगने लगता है, जो हानिकारक है।
3. अत्‍याधिक मैथुन से व्‍यक्ति के यौन अंगों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
महिलाओं के स्‍वास्‍थ्‍य पर मैथुन के प्रभाव
पुरुषों और महिलाओं में मैथुन यानी मास्‍टरबेशन आम बात है। लोग मानते हैं कि मैथुन का दोनों के स्‍वास्‍थ्‍य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। पुरुषों के बारे में हम चर्चा कर चुके हैं (पढ़ें-पुरुषों में मैथुन के प्रभाव)। आज हम चर्चा करेंगे महिलाओं की। गुप्‍तरोग विशेषज्ञों की मानें तो महिलाओं पर मैथुन के प्रभाव सकारात्‍मक कम, नकारात्‍मक ज्‍यादा होते हैं। आज हम बात करेंगे महिलाओं के स्‍वास्‍थ्‍य पर मैथुन के प्रभाव की-
कहा जाता है मैथुन की प्रक्रिया 12 से 13 वर्ष की उम्र में शुरू होती है, यानी जब व्‍यक्ति किशोरावस्‍था में कदम रखता है। महिलाओं में यह प्रक्रिया सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक प्रभाव भी डालती है।
पति से संबंधों पर प्रभाव: हाल ही में अमेरिका के टैक्‍सास शहर में हुए सर्वेक्षण के मुताबिक जो महिलाएं किशोरावस्‍था में मैथुन शुरू कर देती हैं, उन्‍हें शादी के बाद अपने पति के साथ संभोग के दौरान ज्‍यादा अच्‍छा अनुभव नहीं होता। कारण अकेलेपन की चाहत। इस वजह से वो मानसिक तनाव से ग्रसित हो जाती हैं। ऐसी महिलाओं के पति जब उनके करीब जाते हैं, तो उन्‍हें गुस्‍सा आता है और इस वजह से उनका शादी-शुदा जीवन भी प्रभावित होता है।
तनाव: कई स्त्रियां मैथुन के लिए एक समय सेट कर लेती हैं, यदि उस दौरान उन्‍हें अकेलापन नहीं मिलता तो उन्‍हें तनाव होने ल गता है और गुस्‍सा आने लगता है। ऐसे में अन्‍य लोगों से झगड़े की संभावना बढ़ जाती है।
हीमेच्‍यूरिया: हीमेच्‍यूरिया स्त्रियों में पायी जाने वाली वह बीमारी है, जिसमें यूरीन में ब्‍लड आने लगता है। यूरीन गाढ़ी हो जाती है और उसमें से गंध आने लगती है। गुप्‍त रोग विशेषज्ञों के मुताबिक मैथुन की वजह से इस बीमारी के लगने की आशंका बढ़ जाती है। इससे काफी कमजोरी भी आती है और खून की कमी हो जाती है।
गुप्‍तांग में सूखापन: जरूरत से ज्‍यादा मैथुन करने से पीरियड, मासिक धर्म अथवा मेंसुरेशन साइकिल में समस्‍याएं उत्‍पन्‍न होने लगती हैं। इस वजह से गुप्‍तांग में सूखापन आ जाता है और वहां खुजली एवं दर्द होता है। यही नहीं इससे आगे चलकर बच्‍चा होने में भी दिक्‍कत होती है।
अंत में सबसे अहम बात यह कि मैथुन से महिलाओं में यौन इच्‍छाएं कम होने लगती हैं। ऐसा करने पर उन्‍हें संभोग में ज्‍यादा मजा नहीं आता और फिर उन्‍हें सेक्‍स की चरम सीमा तक पहुंचने में दिक्‍कत होती है।
बच्‍चा पैदा होने के बाद सेक्‍स
यदि आपकी जीवन संगिनी गर्भावस्‍था से गुजर रही है और डॉक्‍टर ने आपको सेक्‍स करने से मना किया है, तो यह मत सोचिए कि बच्‍चा पैदा होने के तुरंत बाद आप संभोग कर सकेंगे। तमाम पुरुष सोचते हैं कि बच्‍चा पैदा होने के तुरंत बाद वे अपनी संगिनी के साथ यौन संबंध स्‍थापित कर सकते हैं, लेकिन जो लोग ऐसा सोचते हैं या करते हैं, वे गलत हैं। इससे स्‍त्री के स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान पहुंचता है।
यदि आप यह सोचते हैं कि बच्‍चा पैदा होने के बाद आपको अपनी पत्‍नी से उतना ही यौन सुख मिलेगा, जितना मिलता आया है, तो भी आप गलत हैं। सबसे अहम बात यह है कि बच्‍चे को जन्‍म देना एक महिला के लिए सबसे कठिन प्रक्रिया होती है। लोगों को देखने में भले ही आसान लगे, लेकिन बच्‍चा पैदा होते वक्‍त महिला जीवन और मौत के बीच से गुजरती है।
इस प्रक्रिया के बाद योनी की मासपेशियां खिंचने के साथ-साथ टूट जाती हैं। इसी लिए डिलीवरी के दौरान असहनीय दर्द होता है। कई बार तो मासपेशियों से रक्‍त तक बहने लगता है। ऐसे में यदि आप डिलीवरी के एक दो दिन बाद ही संभोग करना स्‍त्री के लिए कष्‍टदायक हो सकता है। डॉक्‍टरों के मुताबिक नॉर्मल डिलीवरी के करीब छह सप्‍ताह तक संभोग नहीं करना चाहिए। उसके बाद भी डॉक्‍टर की सलाह लें तो अच्‍छा रहता है। क्‍योंकि मासपेशियों के घाव को भरने में पांच से छह सप्‍ताह तक लग ही जाता है। ऐसे में अगर आप सेक्‍स करेंगे तो योनी में इंफेक्‍शन होने का खतरा भी बढ़ सकता है।
सेक्‍स के प्रति उदासीनता की बात करें तो आमतौर पर स्त्रियां डिलीवरी के बाद इसके प्रति उदासीन हो ही जाती हैं। उनके अंदर हार्मोर्न्‍स में परिवर्तन के कारण ऐसा होता है। यही नहीं इस कारण उन पर मानसिक दबाव भी बढ़ जाता है। बहुत कम महिलाएं होती हैं, जिनके साथ ऐसा नहीं होता। इसलिए हो सकता है डिलीवरी के तीन-चार महीने बाद भी स्‍त्री के अंदर सेकस करने की चाह नहीं उठे।
ऐसे में बच्‍चे की मां और पिता दोनों की जिम्‍मेदारी बनती है कि वे छह महीने तक संभोग से बचना चाहिए। यही नहीं यदि स्‍त्री पास आने के लिए मना कर दे तो उसे लेकर झगड़ा नहीं करना चाहिए। सबसे बड़ी बात यह है कि डिलीवरी के छह महीने के बाद भी स्त्रियां जब संभोग करती हैं तो चरम सीमा तक पहुंचने में उन्‍हें काफी दिक्‍कत होती है। लेकिन ऐसा लगभग सभी के साथ होता है।
हां आप अपने साथी को करीब लाने के लिए ओरल सेक्‍स कर सकते हैं, लेकिन उसमें भी ऐसा कोई काम न करें, जिससे स्‍त्री के घावों में दर्द होता हो। सबकुछ नॉर्मल होने के बाद भी अगर संभोग करें तो कॉन्‍ट्रासेप्टिव का इस्‍तेमाल करना मत भूलें, क्‍योंकि ऐसे में महिलाओं के अंदर दोबारा गर्भधारण के चांस बढ़ जाते हैं।
 पहली बार संभोग किस उम्र में?
कोई भी व्‍यक्ति जीवन में पहली बार संभोग कब करता है? यह सवाल यदि आपसे पूछें तो शायद आप तेजी से जवाब देंगे- 26 से 28 वर्ष। यह जवाब अगर आप 20 साल पहले देते, तो शायद सही होता, लेकिन आज नहीं है। जी हां पिछले दो दशकों में पहली बार संभोग करने की औसतन उम्र में गिरावट दर्ज हुई है। हालांकि ये आंकड़े विभिन्‍न देशों और लाइफस्‍टाइल पर निभर करते हैं।
जीवन भर संभोग नहीं करने वाले पुरुषों और महिलाओं की संख्‍या बहुत कम होती है। ब्रिटेन में हाल ही में हुए एक शोध के मुताबिक ब्रिटेन में पहली बार संभोग की उम्र 25 वर्ष से घटकर 16 व 17 साल हो गई है। शोध में पाया गया कि अधिकांश टीनेजर्स 15 साल की उम्र में ही संभोग कर चुके होते हैं। अफसोस की बात यह है कि अधिकांश टीनेजर अज्ञानतावश कंडोम का इस्‍तेमाल नहीं करते।
इंदिरा गांधी मुक्‍त विश्‍वविद्याल यके काउंसिलर व लखनऊ के श्री जयनारायण पीजी कॉलेज के रीडर डा. आलोक चांटिया से हमने इस मुद्दे पर बात की तो उन्‍होंने कहा कि पहली बार संभोग करने की उम्र में गिरावट का सबसे बड़ा कारण टीनेजर्स में यौन जनित बीमारियों व यौन अपराधों के बारे में जानकारी का कम होना है। उन्‍होंने कहा कि भारत में ऐसा कोई अध्‍ययन फिलहाल तो नहीं किया गया है, लेकिन हां अगर अध्‍ययन किया जाए, तो पहली बार संभोग करने की उम्र 17 भले ही ना हो, 23 वर्ष जरूर होगी।
डा. चांटिया ने कहा कि जिस तरह टेलीविजन, रेडियो, इंटरनेट व अन्‍य मीडिया में कंडोम और आई-पिल्‍स का खुलकर प्रचार किया जा रहा है वो गलत है। क्‍योंकि कंडोम और आई-पिल्‍स आदि के बारे में जानने के बाद टीनेजर्स के मन से डर खत्‍म हो जाता है। जबकि पहले ऐसा नहीं था। 20 साल पहले भारत में टीनेजर्स आपस में यौन संबंधों की बात तक करना पसंद नहीं करते थे। डा. चांटिया का कहना है कि हमारा देश एचआईवी-एड्स की रोकथाम के लिए जिस प्रकार कंडोम का प्रचार कर रहा है, उससे आज की युवा पीढ़ी भटकती जा रही है।

अनियंत्रित सेक्स इच्छा बहुत घातक
(सेक्स के प्रति अधिक उत्तेजना से हानि
सेक्स के प्रति अनियन्त्रित इच्छाएं अधिक घातक परिणाम लाती हैं जो व्यक्ति हर समय सेक्स के बारे में सोचते रहते हैं, किसी भी सुन्दर युवती को देखकर उसके साथ सेक्स करने की कल्पनाएं करते हैं। ऐसे व्यक्तियों का स्नायु तंत्र इतना अधिक संवेदनशील हो जाता है कि सेक्स के प्रति जरा सा सोचते ही वे पूर्ण रूप से उत्तेजित हो जाते हैं। व्यक्ति यदि कुंआरा है तो स्वप्नदोष का शिकार हो जाता है और यदि शादीशुदा है तो कई बार उसे शीघ्रपतन का शिकार भी होना पड़ सकता है। इसके अलावा व्यक्ति मानसिक रूप से भी तनावग्रस्त रहता है।
भारतीय समाज में शारीरिक सम्बंधों के लिए कुछ प्रतिबंध हैं, कुछ सीमाएं हैं। उनका पालन करते हुए सेक्स का आनंद उठाया जाए, वही फायदेमंद है। इसके लिए विवाह की लक्ष्मण रेखा खींची गई है। समाज विवाह के बाद ही शारीरिक सम्बंधों को मान्यता देता है। इसी के साथ यह प्रतिबंध भी है कि सेक्स सम्बंध केवल अपनी पत्नी के साथ ही होने चाहिए। इन सभी सीमाओं के होते हुए भी समाज में कुछ ऐसे व्यक्ति हैं जो विवाह के बाद भी अपने सम्बंध दूसरी स्त्रियों से रखते हैं। उनके लिए सेक्स ही सर्वोपरि हो जाता है। जिन लोगों की सेक्स के प्रति इच्छाएं अनियन्त्रित हो जाती हैं, उन्हें केवल पत्नी के साथ शारीरिक सम्बंधों में आनंद नहीं मिलता। ऐसे पुरुष कभी कोठे पर तो कभी कालगर्ल के साथ सेक्स सम्बंध बनाकर अपनी वासना शांत करते हैं। इस पूर्ति के लिए व्यक्ति अपने विवेक और समझ को भूल जाता है। इस भूल का उसे परिणाम भी भोगना पड़ता है। कई बार कुछ परेशानी होती है तो कई बार जानलेवा स्थिति भी बन जाती है।
यौन रोग 
जब व्यक्ति अपनी अनियन्त्रित सेक्स इच्छाओं की पू्र्ति अपनी पत्नी से नहीं कर पाता तो वह अन्य स्त्री को रखैल के रूप में रख लेता है या देह व्यापार से जुड़ी महिलाओं से सम्बंध रखता है। इसके लिए व्यक्ति कोठों तक चला जाता है। देह व्यापार में लिप्त अन्य स्त्रियों के ठिकानों की राह तलाशता है। ऐसी स्त्रियों के साथ धन खर्च करके सेक्स का आनंद उठाया जाता है, लेकिन कई बार कुछ यौन रोग मुफ्त में मिल जाते हैं। ऐसे रोगों में सूजाक तथा सिफलिस विशेष रूप से हैं। ये रोग भी काफी घातक हैं जो व्यक्ति के जीवन को तहस-नहस कर देते हैं। वैसे तो इन रोगों का उपचार सम्भव है पर कभी-कभी इसके परिणाम जानलेवा भी देखे गए हैं। ऐसा ही एक रोग एड्स है जो असुरक्षित यौन सम्बंधों, एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति का खून किसी अन्य व्यक्ति को देना, एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति के काम में लाया जाने वाला इन्जेक्शन आदि को जिम्मेदार माना गया है। ऐसे सम्बन्ध जो व्यक्ति अपनी पत्नी के अलावा किसी अन्य स्त्री, वेश्या अथवा किसी देह व्यापार में लिप्त स्त्री के साथ बनाता है। इसलिए पत्नी के अलावा अन्य स्त्रियों विशेषकर वेश्याओं द्वारा स्थापित सेक्स सम्बन्धों को ही एड्स के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार कारण माना गया है।
यह एक बड़ी और गंभीर समस्या है। पेट के रोग तो फिर भी ठीक हो सकते हैं लेकिन एड्स का इलाज अभी तक नहीं खोजा जा सका है। इसके लिए व्यक्ति की अनियन्त्रित सेक्स इच्छाओं को दोष दिया जाए। पत्नी के साथ इसलिए सेक्स सम्बन्धों को अच्छा समझा जाता है, इससे किसी प्रकार के यौन रोग होने की संभावना नहीं रह जाती है। व्यक्ति को आज से नहीं, बल्कि बीते काफी समय से बार-बार इस बात के लिए प्रेरित किया जाता रहा है कि सेक्स की आवश्यकता की पूर्ति घर से बाहर करें। इसलिए हमारे समाज में विवाह के लिए युवक की आदर्श आयु 21 वर्ष और युवती की 18 वर्ष निर्धारित की गयी है। इस आयु तक व्यक्ति सेक्स सम्बन्धों का पूरा आनंद उठाते हैं और देने में सक्षम हो जाते हैं। इस उम्र में शादी करने का एक कारण यह भी है कि शरीर में उठती सेक्स की आवश्यकता को पूरा करने के लिए व्यक्ति इधर-उधर भटके। इसके बाद भी अगर व्यक्ति अपने ऊपर नियन्त्रण नहीं रख सकता तो फिर जो दुष्परिणाम होंगे, उन्हें तो उसे भुगतना ही पड़ेगा।
हमारे समाज की जो व्यवस्था प्राचीन काल से चली रही है, उसमें व्यक्ति के लिए सौ साल तक स्वस्थ जीवन जीने का सन्देश है। तब के लोग इस सन्देश को समझते थे। इस सन्देश के बीच छिपे हुए गूढ़ रहस्य पर से पर्दा हटाकर उन्होंने जीवन जीने की सही कला सीखी थी। वे पूर्ण रूप से स्वस्थ रहते हुए सौ सालों से अधिक का जीवन जीते थे। आज वह बात नहीं है। सामाजिक व्यवस्था ने जहां-जहां पर व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाया, वहीं पर व्यक्तियों ने विरोध किया है। जहां पर किसी नियम को लागू किया गया, उसी नियम को तोड़ने का प्रयास किया है। जैसे-जैसे मानवीय मूल्यों और सुसंस्कारों के प्रति विद्रोह हुआ है, वैसे-वैसे ही व्यक्ति कई प्रकार की उलझनों में फंसता चला गया।
सेक्स जीवन का एक हिस्सा है लेकिन जीवन सेक्स का हिस्सा नहीं है। सेक्स की अनियन्त्रित इच्छाओं का अपराधों के साथ गहरा संबंध है। बलात्कर इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है और कई बार होने वाली चोरी, डकैती अप्रत्यक्ष प्रमाण। कई बार व्यक्ति किसी ऐसी स्त्री के प्रति आकर्षित हो जाता है जो तो पैसों के बल पर प्राप्त हो पाती है और ही अन्य किसी प्रकार के आकर्षण के। व्यक्ति का मन है कि मानता ही नहीं। वह उसे पाना चाहता है। इसके लिए उसके सामने बलात्कार एक अंतिम रास्ता रह जाता है। केवल थोड़ी उत्तेजना की शान्ति के लिए बलात्कारी खुद को भी बहुत बड़ी मुसीबत में डाल लेता है और उस स्त्री को भी बर्बाद कर डालता है जिसके साथ उसने बलात्कर किया। कुछ लोगों में सेक्स की अनियन्त्रित इच्छा रोग में बदल जाती है। जब कभी मौका अनुकूल पड़ता है, किसी स्त्री को अकेले में और बलात्कार के लिए सुविधाजनक स्थान पर पाता है, तब उसकी सेक्स की इच्छा अचानक भड़क जाती है। उसे कुछ दिखाई नहीं देता, सिवाय इस बात के कि इस स्त्री को प्राप्त करना है। बाद में चाहे ऐसे व्यक्ति जीवन भर पछताते रहें ऐसा अपराध उसने कैसे और क्यों कर दिया।
अपनी पत्नी के अलावा व्यक्ति जिस किसी स्त्री के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाता है, उस स्त्री पर पैसा भी खर्च करना पड़ता है जो व्यक्ति अधिक पैसे वाले हैं, उन्हें इस प्रकार की कोई समस्या नहीं आती है। जिसकी भावनाएं भी नियन्त्रण में नहीं है और पास में पैसा भी नहीं हैं, ऐसे व्यक्ति के लिए दो ही रास्ते बचते हैं। या तो वह अपनी सेक्स के प्रति पूरी तरह से अनियन्त्रित होती इच्छाओं को नियंत्रण में लाए अथवा इसके लिए पैसों की व्यवस्था करे। पहले रास्ते पर जाना उसके लिए सम्भव नहीं होता, इसलिए ऐसे मौके पर वह हमेशा दूसरे रास्ते का ही चयन करता है। पैसों की व्यवस्था सीधे तरीके से हो पाना सम्भव नहीं होता। इसके लिए कुछ टेढ़ा रास्ता अपनाना पड़ता है। यह रास्ता अपराध की दुनिया से होकर जाता है और अपराध की दुनिया में ही चला जाता है। अनेक अवसरों पर हालात ऐसे बन जाते हैं कि व्यक्ति के हाथों अनचाहे या अनजाने में किसी का खून (मर्डर) तक हो जाता है। ऐसे में सजा के तौर पर जेल भी जाना पड़ सकता है।
सेक्स के प्रति उत्तेजना को बढ़ाने का काम आजकल टी.वी, मैगजीन, फैशन शो, कम कपड़े पहनना और फिल्मों में स्त्री शरीर का जो घातक उपयोग हो रहा है, उसे देखते हुए यही कहना ठीक रहेगा कि वे सब भी व्यक्ति की काम इच्छाओं को भड़काने का ही काम कर रहे हैं।
इन सबके लिए एक अहम बात को फिर से तथा बार-बार दोहराना पड़ता है कि अगर व्यक्ति व्यवस्थित जीवन जीना चाहता है तो अपने सामाजिक मूल्यों और पारिवारिक आदर्शों को भूलना नहीं चाहिए। व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने ऊपर नियन्त्रण रखें अन्यथा हो सकता है उसे कोई ऐसी बीमारी मिल जाए जिसके कारण उसका जीवन नर्क बन जाए। मर्यादा में रहकर व्यक्ति जीवन के प्रत्येक आनन्द को लम्बे समय तक भोग सकता है। बीमार व्यक्ति के लिए जीवन के शेष दिन काटने भारी हो जाते हैं, ऐसे में वह किसी प्रकार का आनन्द कैसे ले सकता है।
सेक्स के प्रति भावनाओं को अधिक उद्दण्ड होने दें। एड्स किसे कब हो जाये या कैसे हो जाये यह कहना और अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है। सेक्स का भरपूर आनन्द लेना है तो पत्नी के प्रति निष्ठावान बनने का प्रयास करें। जब व्यक्ति यह चाहता है कि उसकी पत्नी पतिव्रता होनी चाहिए तो स्वयं व्यक्ति को भी पत्नीव्रता होना चाहिए। व्यक्ति हमेशा यही चाहता है कि उसकी पत्नी केवल उसी में निष्ठा रखें, किन्तु वह स्वयं अपनी पत्नी में निष्ठा क्यों नहीं रख सकता। स्वयं किसी भी प्रकार का आनन्द लेने के लिए किसी भी नियम, कानून को तोड़ दें किन्तु पत्नी को बांधने के लिए सौ तरह के कानून क्यों बनाये जायें।
कामुक प्रवृत्ति वाले लोगों से बचें
बहुत से व्यक्ति ऐसे होते हैं जिनका ध्यान हमेशा सिर्फ सेक्स के आस-पास ही होता है। वे हर पल सेक्स सम्बन्धों के लिए काल्पनिक विचारधाराओं में उलझे रहते हैं। ऐसे व्यक्ति चरित्र के मामले में भी काफी गिरे हुए होते हैं। परिवार की मान-मर्यादा पर कलंक लगाने के लिए कामुक प्रवृत्ति एक अहम् भूमिका निभाती है लेकिन इस प्रकार के व्यक्तियों को किसी प्रकार की चिन्ता नहीं होती है। अधिक उम्र हो जाने पर भी वे अपनी इस दूषित विचारधारा से निकल नहीं पाते हैं। जहां मौका देखते हैं, वहीं कोई भी गंदी हरकत करने से चूकते नहीं हैं। नादान और मासूम बच्चियों के साथ छेड़छाड़ तो आम बात होती है। ये बच्चियां चूंकि इस बारे में कुछ नहीं समझती, इसलिए वे किसी को कुछ नहीं बता पाती और समझा पाती।
समाज को ऐसे लोगों का बहिष्कार करना चाहिए तथा ऐसी घिनौनी हरकत करने वालों के साथ किसी प्रकार की रियायत नहीं बरतनी चाहिए बल्कि इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए क्योंकि किसी का अपराध छुपाने का अर्थ है उसे और अधिक अपराध करने के लिए मौका देना, बढ़ावा देना उनके हौसलों को बढ़ाना जो आज के समय में शायद ही कोई चाहेगा।
कहीं आपको सेक् की लत तो नहीं?
क्‍या आपको बार-बार सेक्‍स करने का मन करता है? क्‍या आप किसी महिला को देखते ही उत्‍तेजित होने लगते हैं? क्‍या आपसे रोज़ाना मैथुन किए बगौर रहा नहीं जाता? या फिर आपको पोर्न मूवीज़ व चित्र देखना बहुत पसंद है। यदि ऐसा आपके साथ होता है, तो सतर्क हो जाइये, क्‍योंकि ये सभी सेक्‍स की लत लग जाने के गुण हैं। आप सोच रहे होंगे, धूम्रपान, मदिरापान, चाय, आदि की लत तो सुनी थी लेकिन सेक्‍स की लत भी क्‍या किसी को लगती है।
सेक्‍स तो एक प्राकृतिक क्रिया है, इसे लत का नाम कैसे दिया जा सकता है… आपके मन में उठ रहे सवाल लाज़मी हैं, लेकिन यह मत भूलें कि हर वो चीज़ जो सामान्‍य से अधिक हो वो लत है और बुरी लत हमेशा व्‍यक्ति को पर नकारात्‍मक असर छोड़ती है।
क्‍या है सेक्‍स की लत
चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर सेक्‍स कब बुरी लत में बदल जाता है। इसे सेक्‍सुअल एडिक्‍शन भी कहते हैं। सीधी भाषा में कहें तो जब यौन क्रियाएं कंट्रोल से बाहर हो जाएं तो उसे सेक्‍स की लत कहते हैं। जिस व्‍यक्ति को यह लत लग जाती है वो अपना अधिकांश समय यौन क्रियाओं में व्‍यतीत करना पसंद करता है। उसे जब मौका मिलता है, तब वो सेक्‍स के बारे में सोचने लगता है। इससे उसके व्‍यवहार में भी बदलाव आता है, जिसका असर उसके निजी, सामाजिक और व्‍यवसायिक जीवन में पड़ता है। ऐसे लोगों के लिए सेक्‍स उनके परिवार, दोस्‍तों और काम से ऊपर होता है।
आम तौर पर यह लत टीन एज में लगती है। कई लोग कुछ दूरी तक जाकर संभल जाते हैं, लेकिन जो लोग शुरु में नहीं संभते हैं, वे 40 की उम्र के बाद तक सेक्‍स के लिए लालायित रहते हैं। यह लत भी ठीक उसी प्रकार लगती है, जैसे शराब या धूम्रपान की। सेक्‍स के दौरान हमारे शरीर से एक प्रकार का द्रव्‍य निकलता है, जो हमें असीम यौन सुख का अहसास कराता है। कुछ लोग जो बार-बार यौन सुख की अनुभूति की चाह रखते हैं, उन्‍हें यह लत जल्‍दी लग जाती है। उनकी लत की शुरुआत मैथुन यानी मास्‍टरबेशन से होती है। बंद कमरे में वो बार-बार मैथुन करते हैं।
मौका मिलने पर पोर्न वेबसाइट, किताबें या फिल्‍में देखते हैं। कई बार तो फिल्‍म देखते-देखते ही मैथुन करने लगते हैं। ऐसे लोग उन घरों में ताका-झांकी करने से भी पीछे नहीं रहते हैं, जहां लड़कियां रहती हैं। यह केवल लड़कों के साथ ही नहीं लड़कियों को भी सेक्‍स की लत लग जाती है, तो वो भी ऐसा ही करने लगती हैं। जाहिर है हद से ज्‍यादा मैथुन करने के भी दुष्‍प्रभाव हैं। उसका सीधा असर स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ता है।
ऐसे लोग ज्‍यादातर अकेले रहन पसंद करते हैं। लोगों से घुलने-मिलने में उन्‍हें काफी परेशानी होती है, वो इसलिए क्‍योंकि उनके मन में हमेशा यह सवाल गूंजता रहता है कि वो सेक्‍सुअली कमजोर हैं। इसका असर उनके कॅरियर पर भी पड़ता है। कई बार जहां सेक्‍स की बातें चल रही हों, वहां उनके मन में अपने प्रति हीन भावनाएं आने लगती हैं।
इस लत के और भी असर होते हैं। इंटरनेट के माध्‍यम से फ्री क्‍लासीफाइड पर पर्सनल विज्ञापन देकर डेटिंग करना आम है। ऐसे लोग मौका मिलने पर वेश्‍यावृत्ति के समय सोचते नहीं हैं। कई बार असुरक्षित यौन संबंध तक स्‍थापित कर बैठते हैं। जिस कारण उन्‍हें यौन जनित रोग लगने का खतरा रहता है।
इंटरनेट पर जब भी किसी से चैट करते हैं, तो घुमा-फिरा कर अपनी बातों को सेक्‍स की ओर ले जाते हैं। ऐसे लोगों को टेलीफोन पर सेक्‍स की बातें करना पसंद होता है। ऐसे पुरुषों के अंदर लड़कियों का यौन शोषण करने की प्रवृत्ति ज्‍यादा होती है। क्‍योंकि उनके मन में हमेशा हर काम के बदले में सेक्‍स की चाहत होती है। इन्‍हीं कारणों से सेक्‍स की लत लगने पर सामाजिक जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। अब अगर पारिवारिक जीवन की बात करें तो जीवन साथी से रिश्‍ते टूटने की बात तभी आती है, जब आपका अफेयर किसी अन्‍य से भी हो। सेक्‍स की लत लगने पर व्‍यक्ति एक से अधिक लोगों से संबंध तक बनाने में पीछे नहीं हटते।
जब स्त्रियों को लगती है सेक्‍स की लत
सेक्‍स की लत सिर्फ पुरुषों को ही नहीं लगती है, स्त्रियां भी इसका शिकार हो सकती हैं। ऐसा होने पर वो भी पोर्नोग्राफी, टेलीफोन सेकस, इंटरनेट सेक्‍स, आदि करने लगती हैं। यही नहीं उन्‍हें भी जब अकेले मौका मिलता है तो वो भी मैथुन करती हैं। यही नहीं ऐसी स्त्रियां भी एक से ज्‍यादा लोगों से संबंध स्‍थापित करने में पीछे नहीं हटतीं। कई बार लड़कियां वेश्‍यावृत्ति में भी पड़ जाती हैं।
यही कारण है कि 40 प्रतिशत लड़कियों का अनचाहा गर्भधारण इसी लत की वजह से होता है। हाल ही में हुए एक अध्‍यन की मानें तो सेक्‍स एडिक्‍शन की वजह से 70 प्रतिशत लोगों के वैवाहिक जीवन प्रभावित होता है। 40 प्रतिशत के साथी उन्‍हें छोड़ देते हैं। 72 प्रतिशत आत्‍महत्‍या के प्रयास करते हैं, 68 प्रतिशत लोग यौन जनित बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं और 27 प्रतिशत लोगों का कॅरियर चौपट हो जाता है। ये आंकड़े पुरुष और स्त्रियों दोनों पर हुए अध्‍यन के हैं।
प्यार-सेक्स के नाम पर बिकता है अधकचरा ज्ञान
अक्सर हम सुनते आये हैं कि किताब ही इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होती है, दुनिया में तो लोग हमेशा साथ रहते नहीं  हैं लेकिन किताब ऐसी है , जो इंसान के साथ हमेशा रहती है, लोग उसे छोड़ दें लेकिन किताबें लोगो को नहीं छोड़ती हैं। लेकिन कहते हैं ना अपवाद हर जगह होते हैं। इसलिए ये बातें हर समय सही हो ये कह पाना थोड़ा मुश्किल हैं। www.journalisttoday.com में छपी खबर के मुताबिक रोमांटिंक किताबें हमेशा अच्छी दोस्त साबित नहीं होती हैं। क्योंकि जिनको किताबें पढ़नी आदत होती है, वो उसी की तरह व्यवहार करने लगते हैं।
उनके दिल दिमाग पर केवल किताबी व्यक्तित्व ही छाये रहते हैं और जब इंसान यथार्थ के धरातल पर आता है तो उसके लिए दिक्कत हो जाती है क्योंकि वो अपनी लव लाईफ को किताब की लाईफ से तुलना करने लगता है और जब उसे उसके साथ तालमेल मिलता नहीं दिखायी देता तो वो डिप्रेशन या कलह को जन्म दे देता है।
किताबों में जो ज्ञान होता है उससे युवागण भटक भी सकते हैं क्योंकि वो उसी को आधार बनाकर जीने लगते हैं। रोमांटिंक, सेक्स और लव की किताबों में अक्सर अधकचरा ज्ञान होता है जिसके चलते हमारे युवा भटक जाते हैं, अक्सर इन किताबों में सेक्स के नाम पर जो परोसा जाता है वो बेहद अश्लील और उत्तेजक तो होता है लेकिन उनमें भटकाव ज्यादा होता है।
जिसके चलते हमारे युवा मनोरंजित और सुखी होने के बजाय भ्रमित और कई भयावह यौन रोगों के शिकार हो जाते हैं। इसलिए प्रेम, रोमांस और सेक्स संबधित किताबें पढ़ने वाले लोग अपनी आंख-कान खोलकर किताबें पढ़े और उस पर अमल  करें।
सही नहीं है शादी के पहले सेक्सर्वे
मुंबई की एयरहोस्‍टेस द्वारा जेट एयरवेज के पायलट पर लगाए गए रेप के आरोप का मामला इस समय चर्चा में है। पायलट पुलिस हिरासत में है, पूछताछ जारी है। खैर फैसला जो भी हो, लेकिन ऐसे मामले अब आये दिन मीडिया की सुर्खियां बनने लगे हैं। ऐसे मामलों में हर बार बात आती है शादी से पहले सेक्‍स की। जिसे पश्चिमी सभ्‍यता की ओर झुकाव रखने वाले भारतीय सही मानने लगा हैं, लेकिन आज भी बहुमत खिलाफ ही है।
दैट्स हिन्‍दी ने इस मुद्दे पर एक सर्वेक्षण कराया। इंटरनेट के माध्‍यम से हुए इस सर्वेक्षण में कुल 1,901 लोगों ने हिस्‍सा लिया, जिनमें 52.4 प्रतिशत यानी 997 लोगों ने कहा कि शादी से पहले सेक्‍स सही नहीं है। पोल में सर्वे में 824 यानी 43.3 लोगों का जवाब हां में था और 79 यानी 4.2 प्रतिशत ने कहा कि वो इस मुद्दे पर कुछ नहीं कह सकते।
सर्वे के नतीजों से यह स्‍पष्‍ट है कि आज लोग शादी से पहले सेक्‍स को गलत ही मानते हैं। इस पर हमले लखनऊ के श्री जयनारायण पीजी कॉलेज के रीडर व इंदिरा गांधी ओपेन यूनिवर्सिटी के काउंसलर डा. आलोक चांटिया से बात की तो उन्‍होंने कहा कि इस समय देश में जनसंख्‍या को रोकने के लिए फ्री सेक्‍स को बढ़ावा दिया जा रहा है। लेकिन जहां संस्‍कृति की बात आती है वहां यह पूरी तरह विपरीत है।
डा. चांटियां ने कहा कि सर्वे में अगर 43 प्रतिशत लोग इसे सही मान रहे हैं, तो इसका साफ मतलब है कि लोगों का झुकाव सेक्‍स की तरफ बढ़ रहा है, अन्‍यथा यह संख्‍या 20 प्रतिशत से कम होती। इतनी अधिक संख्‍या में हां में जवाब आने के पीछे कॉन्‍ट्रासेप्टिव के विज्ञापन और वो फिल्‍में हैं, जो प्‍यार का मतलब सेक्‍स ही दिखाती हैं। खैर 52 प्रतिशत की ना यह संकेत दे रहा है कि पश्चिमी सभ्‍यता के हावी होने के बावजूद भारतीय अभी भी इसे स्‍वीकार नहीं करना चाहते हैं।
                                                                                                    

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